दशहरे का त्योहार विशेष रूप से भगवान श्रीराम की राक्षसराज रावण पर जीत की खुशी में मनाया जाता है। दशहरे से पूर्व नौ दिन तक भगवान राम के जीवन की विभिन्न झांकियों का ‘रामलीला’ के रूप में मंचन किया जाता है। लंकापति रावण के अत्याचारों से पृथ्वीलोक के ऋषि-मुनि और पुण्यवान जन ही नहीं, देवलोक के देवता भी त्रास्त थे। उसके अत्याचारों की पराकष्ठा यहां तक जा पहुंची कि वह सीताजी का हरण करने का दुस्साहस कर बैठा। भगवान श्रीराम ने रावण का संहार कर पृथ्वी और देवलोक को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। इस पुस्तक में दशहरे से संबंधित कई अन्य पौराणिक प्रसंगों को भी मनोहारी चित्रों के द्वारा सरल एवं रोचक भाषा में प्रस्तुत किया गया है।