बैसाखी का त्योहार सिक्खों के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह के द्वारा ‘खालसा’ पंथ की स्थापना किए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। वसंत के आगमन और रबी की पफसल तैयार होने पर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना भी इस त्योहार के आयोजन का एक कारण है। बैसाखी भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। इस दिन भक्तजन भोर में ही उठकर स्नान करते हैं और गुरुद्वारों में अरदास करने जाते हैं। गुरुद्वारों में गुरुग्रंथ साहिब से जाप, कीर्तन और अरदास का आयोजन किया जाता है। इसके बाद भक्तों को अमृत छकाया जाता है। सभी भक्त बिना किसी भेद-भाव के एक साथ नीचे बैठकर गुरु का लंगर (भोजन) ग्रहण करते हैं। बैसाखी का त्योहार सामाजिक संबंधें को दृढ़ करता है और समस्त जाति-समुदायों को आपस में जोड़कर उनमें एकता का भाव पैदा करता है।