आज भारत वर्ष में सैक्स के बारे में चारों तरफ भ्रांतियां फैली हुई हैं । नीम-हकीमों की चांदी बनी हुई है और माता-पिता-अध्यापक लोक-लाज व संकीर्णता के दायरे में रहकर अपने बच्चों को सैक्स के बारे में कुछ भी ठीक से नहीं बता पाते । टी.वी. चैनल व एडल्ट फिल्में अधकचरा ज्ञान फैलाती हैं । ऐसे में माता-पिता-अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि बच्चों को सैक्स से सम्बन्धित आवश्यक जानकारी दें । यह जानकारी पुस्तकों के माध्यम से भी दी जा सकती है । इसी दृष्टिकोण से यह पुस्तक लिखी गई है । लेखक व प्रकाशक का मत है कि सरकार को कठोर कदम उठाकर, उचित तरीके से यौन-शिक्षा को हाईस्कूल-इण्टर के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए । इस प्रकार अज्ञानतावश किशोर-किशोरियां जो गलती कर बैठते हैं उस पर अंकुश लगेगा और सैक्स का वीभत्स रूप समाप्त हो सकेगा । जिस चीज को जितना परदे में रखते हैं उसके प्रति जिज्ञासा उतनी ही बढ़ जाती है । हमें समझदारी पूर्वक यह परदा हटाना ही होगा । सैक्स शिक्षा को अनिवार्य बनाने से ‘‘परिवार नियोजन कार्यक्रम'' को भी सफल बनाने में मदद मिलेगी । आशा करता हूँ कि प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में उपयोगी सिद्ध होगी ।