जब हम लक्ष्य तक पहुँचने में बाधा का अनुभव करते हैं तो क्रोध की भावात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। रोज़मर्रा का जीवन अनेक ऐसे उदाहरणों से भरा है, जब हम अपना मनचाहा न पाने पर कुंठित व क्रोधित हो जाते हैं। यह पुस्तक ‘क्रोध प्रबंधन’ आम आदमी के लिए लिखी गई है ताकि वह इन रोजमर्रा में सामने आने वाली विवादित परिस्थितियों को समझें, जो व्यक्ति को क्रोध व इससे संबंधित समस्याओं की ओर ले जाती हैं, साथ ही इनके उचित प्रबंधन का भी सविस्तार वर्णन है। मनोविज्ञानी, मनसविद् व अन्य स्वास्थ्य, विशेषज्ञ तनाव, अवसाद, आक्रामकता व अन्य आचरण संबंधी मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर वर्षों से काम कर रहे हैं परन्तु इन सबके बावजूद, एक आम आदमी के लिए क्रोध-प्रबंधन कार्य का अभाव था। प्रस्तुत पुस्तक इसी विषय को उठाती है कि रोज़मर्रा की जिंदगी में आम आदमी कैसे क्रोध का अनुभव व अभिव्यक्ति करता है और इसके द्वारा कैसे उसे सेहत से जुड़ी समस्याएं घेरती हैं। संसार के विभिन्न हिस्सों में क्रोध व उससे जुड़ी समस्याओं पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं परन्तु कोई भी एक पुस्तक अपने-आप में संपूर्ण नहीं है। भारत में तो आम आदमी के लिए इस विषय पर कोई अच्छी पुस्तक है ही नहीं। प्रस्तुत पुस्तक में हमने भरपूर प्रयास किया है कि पाठक के लिए समस्त सहज व सरल भाषा में सामग्री दी जाए ताकि वे अपने नकारात्मक विचारों, भावनाओं तथा व्यवहारों को नए सिरे से गढ़ कर, दिन-प्रतिदिन के क्रोध की समस्या का प्रबंधन कर सके। तभी हम स्कूल, घर और कार्यक्षेत्र में एक बेहतर वातावरण की सृष्टि कर, व्यक्तिगत स्तर पर मानसिक शांति का वह स्तर बना पाएंगे, जो पूरे समाज व संसार की शांति की बेहतरी के लिए हो। हम आशा करते हैं कि यह पुस्तक पढ़ने के बाद हर आम आदमी इसे अपने पुस्तक संग्रह या पुस्तकालय का स्थायी अंग बनाना चाहेगा।