सरोजनी प्रीतम हिन्दी साहित्य की आधुनिक महिला साहित्यकार और लेखक हैं। व्यंग्य से हिन्दी साहित्य जगत को समृद्ध करने वाली सरोजनी जी 'हंसिकाएँ' नाम की एक नई विधा की जन्मदात्री हैं। उन्हें नारी वेदना की सजीव अभिव्यक्ति के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। हिन्दी साहित्य की अध्येता रहीं सरोजनी प्रीतम ने पहली रचना महज मात्र 11 साल की उम्र में प्रकृति को कथ्य मानकर लिखी थी। उनके लेखन में गद्य एवं पद्य दोनों में समान अधिकार से व्यंग्य एवं वेदना व्यक्त हुई है।
यह कहानी आपको, हँसी की स्थितियों पर प्रहार करके उसमें मनोरंजन का एक नया पुट डालने और फिर मसालेदार चटपटा बनाकर गरमा-गरम परोसने की कोशिश की गई है‒यह जूते आपको कैसे लगते हैं यह तो नहीं कह सकती पर इन्हें मैं आपके चरणों में नहीं हाथों में सौंप रही हूँ।