श्री हरि जोशी ने पर्याप्त मात्रा में व्यंग्य लिखे हैं। उन्होंने कहानी, निबंध और उपन्यास तीनों विधाओं में व्यंग्य का भरपूर प्रयोग किया है। देश की लगभग सभी स्तरीय पत्रिकाओं में उनके व्यंग्य प्रकाशित हुए हैं। हरि जोशी ने प्रायः सादगीपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है। व्यंग्य को पुष्ट करने में वे अंग्रेज़ी, संस्कृत और उर्दू शब्दावली का भी प्रयोग करते हैं। मुहावरों पर उनकी गहरी पकड़ है। संवादात्मकता उनके व्यंग्य की अन्यतम विशेषता है। व्यंग्य के विषय उन्होंने समाज व राजनीति के विविध क्षेत्रों से लिए हैं। उनका उपन्यास ‘महागुरु’ शिक्षा जगत पर है, ‘वर्दी, पुलिस वालों पर है’ तो ‘टोपी टाइम्स’ पत्रकारों की ख़बर लेता है। व्यंग्य का एक छोटा-सा सूत्र भी उनसे पूरा व्यंग्य लिखवा लेता है। यहाँ प्रस्तुत हैं डॉ. हरि जोशी के इक्यावन प्रखर व्यंग्य।