17 दिसम्बर, सन् 2008 में नासा ने पृथ्वी के भीतरी चुम्बकीय क्षेत्र में सौर-कणों की एक परत की खोज की और यह निष्कर्ष निकाला कि अगली उच्च सौर गतिविधि सन् 2012 में होगी। उस समय पृथ्वी इस शताब्दी, का सबसे भयानक विस्फोट देखेगी। अगर सन् 2012 में पृथ्वी को ऐसी किसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, तो भी ऐसे बहुत से विध्वंसों से पृथ्वी के तबाह होने की पूरी आशंका है। फ्रांस में निर्मित सर्न हैड्रॉन कोलाइडर मशीन जो दुनिया की सबसे बड़ी और आधुनिक मशीन है, अचानक ही ब्लैक होल पैदा कर देगी। यह ब्लैक होल धीरे-धीरे पृथ्वी समेत सौरमण्डल के सभी ग्रहों को निगल जाएगा। हमारी पृथ्वी एक ऐसे धूमकेतु की ओर तेजी से बढ़ रही है जिसकी टक्कर पृथ्वी के समस्त प्राणियों और पेड़-पौधों को खत्म कर देगी। आज इंटरनेट और वेबसाइटें जीवित बचने की तकनीकों से भरी पड़ी हैं और अकस्मात ही 21 दिसम्बर, सन् 2012 सभी के लिए चर्चा का विषय बन गया है। एक ऐसा दिन जिसे कई प्राचीन सभ्यताओं और भविष्यवाणियों में प्रलय का दिन बताया गया। क्या सचमुच हम सभी 21 दिसम्बर, 2012 को समाप्त होने जा रहे हैं? क्या माया कैलेंडर मिस्र और अन्य प्राचीन सभ्यताओं में इसी प्रलय का जिक्र किया गया है? क्या यह सत्य है कि दिसम्बर 2012 में सूर्य आकाश गंगा के केन्द्र में होगा और महाविनाश का कारण बनेगा? क्या निब्रू और हरकोल्यबस ग्रह पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं? क्या हम वैश्विक विनाश की ओर बढ़ रहे हैं? प्रागैतिहासिक काल से अनगिनत ऐसी भविष्यवाणियाँ की जा चुकी हैं जिसमें पृथ्वी के सम्पूर्ण विनाश की बात कही गई। क्या वह समय आ गया है? नॉन फिक्शन लेखक अशोक कुमार शर्मा, पीएचडी, जिन्होंने पहली बार नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों की व्याख्या की और कई बेस्ट सेलर पुस्तकें, जैसे द कम्प्लीट प्रोफेसिस ऑफ नास्त्रेदमस, 'विश्व प्रसिद्ध भविष्यवाणियां', 'द प्रोफेसिस फॉर द न्यू मिलेनियम' तथा 'द रेयर प्रीडिक्शन्स' प्रस्तुत की। इस पुस्तक में अब तक की सभी भविष्यवाणियों का विश्लेषण करके क्या निष्कर्ष निकाला गया है आप स्वयं पढ़ें। आधुनिक दुनिया के डर और भविष्यवाणियों से संबंधित एक तथ्यपरक यात्रा।