प्रकृति को सृष्टिकर्त्ता का सुन्दरतम् उदाहरण कहा जाता है। सारी सृष्टि उसके संकेत पर खिलते, अठखेलियां करते, नाचते-झूमते हुये, ज़िन्दगी का पाठ पढ़ाते हुये अपने रौद्र रूप को भी विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करती है। मानव को परमात्मा को समझने, जानने-बूझने और उसके निकट से निकटतर जाने के लिये अनेक धर्म ग्रंथ रचे गये, उपदेश दिये गये। ‘सात वार’ पुस्तक के लेखक स- जसमेर सिंह होठी ने अपनी पुस्तक में ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों और उसकी अलौकिकता को ना केवल धार्मिक स्रोतों द्वारा अपितु उसमें स्थित ग्रह, नक्षत्रों की गणना और पूर्ण नाभिकीय पटल को वैज्ञानिक तौर पर समुचित आंकड़ों द्वारा प्रस्तुत किया है। इसमें लेखक ने पौराणिक, मिथकीय, गुरबाणी के उदाहरणों सहित सामयिक नाभिकीय सूचनाओं और अंतरिक्ष यानों की नवीनतम जानकारी को साझा किया है। सप्ताह के सात दिनों का अर्थ, सांख्यिकी गणना, उनकी अधिकतम जानकारी, उनका महत्व और भारतीय व यूरोपियन जीवन-शैली पर उनके प्रभाव को रेखांकित किया है। इस जटिल और दार्शनिक विषय को उन्होंने गुरबाणी, आध्यात्मिक पहलू, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामान्य जन जीवन के आदर्शों के सुमेल से जिस प्रकार प्रस्तुत किया है, वह अत्यन्त सराहनीय है।
इस पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करते समय जिस प्रकार का ज्ञान और आधुनिकतम जानकारी मुझे प्राप्त हुयी है, मुझे आशा है कि हिन्दी के सभी पाठक, जिनकी रुचि अध्यात्म और धर्म में है और जो सृष्टि को निकटता से देखने के चाहवान हैं, वे अवश्य इस पुस्तक से लाभांवित होंगे।
- डॉ. जसविन्दर कौर बिन्द्रा