वीर सावरकर का पूरा नाम वीर विनायक दामोदर सावरकर था। वे भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के एक अद्वितीय विभूति थे। मातृभूमि की स्वाधीनता, अखण्डता, सम्पन्नता के लिए उनका त्याग, संघर्ष एवं अदम्य उत्साह सर्वथा अनुपम, अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय रहा है। अपने बाल्यकाल से ही वह मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष में कूद पड़े थे। यह मार्ग पूर्णतया कांटों से भरा हुआ था। फलतः उन्हें बार-बार भयंकर संकटों का सामना करना पड़ा; दो जन्म कारावास का दण्ड देकर पचास वर्षों के लिए उन्हें अन्डमान भेज दिया गया। उस समय कोई नहीं कह सकता था कि वह पुनः भारत भूमि के दर्शन करेंगे, किन्तु सौभाग्य से वह पुनः दस वर्ष बाद भारत लौटे। अन्डमान की भयंकर शारीरिक, मानसिक यंत्रणाएं एवं प्रताड़नाओं से भी वह विचलित नहीं हुए, सदा-सर्वदा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहे; ध्रुवतारे के समान अटल रहे।