‘बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता’ यह कथन या कहावत हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। हम ही क्यों हमारे माता-पिता, दादा-दादी और उनके पूर्वजों ने भी ऐसा ही सुना होगा, यह एक शाश्वत सत्य की तरह बना हुआ है। इसका मतलब यह हुआ कि यदि किसी को स्वर्ग प्राप्त करना है तो पहले उसे मरना होगा। हम जीते जी स्वर्ग प्राप्त नहीं कर सकते। ‘बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता’ यह कथन भ्रमपूर्ण है। हमारे पूर्वाग्रह से पीड़ित होने का नतीजा है। यदि हम इस कथन की सत्यता को जानने के लिए इसे वास्तविकता की कसौटी पर परखें तो स्पष्ट होगा कि स्वर्ग प्राप्ति के लिए मरना जरूरी नहीं है। हम जीते जी भी स्वर्ग प्राप्त कर सकते हैं। पहले के ही नहीं वर्तमान काल के भी ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं कि लोगों ने इसी धरा पर रहकर स्वर्ग प्राप्त किया है। यदि वे जीते जी स्वर्ग प्राप्त कर सके हैं तो फिर हम क्यों नहीं? इस पुस्तक के माध्यम से मैं अपनी हृदयगत भावनाओं को आपकी अंतःचेतना में उड़ेलने का प्रयास कर रहा हूँ। इससे यदि किसी कर्म प्रवृत्ति के लिए प्रेरणा न मिले तो मेरा लिखना और आपका पढ़ना बेमतलब होगा। इसलिए मित्रों आपसे विनम्र निवेदन है कि आप जीवन की अमूल्य घड़ियों का महत्व समझें और सुरदुर्लभ मानव जीवन को यों ही बर्बाद न करें, नरक की यातनाओं में तपने से बचें।