इस संसार में हमारे जीवन की भूमिका, उद्देश्य, सत्य, नियति, निष्कर्ष, परिभाषा, आधार, सत्य, शक्ति, शुरुआत और अन्त को समझना है । यह हमारे जीवन, समाज और देश के लिये सही दिशा निश्चित करती है। क्योंकि शुरुआत हमेशा खुद से ही होती है । दूसरों को दोष वे देते हैं जिनमें परिस्थितियों को अच्छाई में बदलने की क्षमता नहीं होती। और कमजोर वे लोग हैं जो परिस्थितियों को अच्छाई में बदलने की क्षमता रहते हुए भी नहीं बदलते। हमारे शरीर का जब अन्त होना ही था तो पहले ही हो जाता। यह सब जीवनचक्र की क्या आवश्यकता थी? जीवन भर जो व्यवहार किया उसकी भी क्या आवश्यकता थी? वर्तमान में हमारे देश में अलग-अलग प्रकार के वर्गों के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था है, उसमें सड़ी नियोजन करके देश से वर्तमान की गरीबी, असमानता और भविष्य की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। जिससे लोकतंत्र, समानता की परिभाषा और संविधान के उद्देश्य सिद्ध हो सकते हैं, सबका कल्याण हो सकता है। एक वृक्ष, पेड़ अपने पूर्ण विकास के लिए धरती के भीतर से सभी वह तत्त्व, अपने भीतर समाहित कर लेता है या ग्रहण कर लेता है, जिससे वह पूर्णतः विकसित होता है, और कई सालों तक विकसित रहता है, फल-फूल और अन्य सामग्री हमें देता है, उसी प्रकार वैसे ही हमारा जीवन है, हमें संपन्न, सफल होने के लिए सभी आवश्यक बातें अपने भीतर समाहित करनी होती है।