यह पुस्तक आखर सोवत नाहीं प्रज्ञापुरुष ओशो की पुस्तकों पर लिखे गए मूर्धन्य विद्वानों के अनुशीलनात्मक तथा आलोचनात्मक संपादकीय आलेखों का संकलन है। बड़े परिश्रम एवं मनोयोग से तैयार की गई यह पुस्तक ओशो से जुड़ी भ्रामक धारणाओं को ध्वस्त करने के साथ-साथ आपको ओशो के साहित्य संसार में प्रवेश कराने का मार्ग प्रशस्त करती है। ज्ञान पिपासुओं, जिज्ञासुओं और प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी और उपादेय साबित होगी। प्रवीण कुमार अंशुमान (जन्म -19 अगस्त 1984, आज़मगढ़, यू.पी.) विगत आठ वर्षों से स्थायी तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय में किरोड़ीमल महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। लेखक ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। इनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं- स्टोपार्डियन कोकोनट्स, चेंजिंग कॉमप्लेक्सिऑन ऑफ डेल्ही, इकोसेंसिबिलीटीज़ फाइंडिंग पाथ टू हॉरमनी। आखर सोवत नाहीं : प्रथम सोपान इनकी चौथी पुस्तक है । रवि प्रकाश चौबे (जन्म - 4 फरवरी 1991, कैमूर, बिहार) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन्स महाविद्यालय से बी.ए. संस्कृत (ऑनर्स), तत्पश्चात् जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान से एम.ए. और एम.फिल. किया। सम्प्रति इनका शोध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जारी है। आखर सोवत नाहीं : प्रथम सोपान इनकी पहली पुस्तक है ।