साठ के दशक के प्रारम्भ में आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय, बेतिया के क्रीड़ा-विभाग के अध्यक्ष भी रहे थे और साथ ही कॉलेज की फुटबॉल टीम के एक खिलाड़ी भी। बाहर की कई प्रतियोगिताओं में ओझा जी ने प्रतिनिधित्व भी किया। किन्तु कुछ साल बाद उनकी अभिरुचि में परिवर्तन हुआ और वे लॉन टेनिस के बहुत ही अच्छे खिलाड़ी के रूप में चर्चित हो गए। लॉन टेनिस के प्रति उनका आकर्षण इतना बढ़ा कि उसको वे एक सुन्दरी के रूप में देखने लगे और उस पर एक अत्यंत रोचक-रुचिकर ललित निबंध 'टेनिस-सुन्दरी' लिख डाला जो अति चर्चित व प्रशंसित हुआ। ऐसा कहा जाता है कि ओझा जी क्लास में पढ़ाने तथा टेनिस खेलने में कभी भी अवकाश नहीं लेते थे
- इसीलिए उन्हें Tennis Edict भी कहा जाने लगा। अब आपको स्पष्ट हो गया होगा कि इस पुस्तक का नाम 'टेनिस-सुन्दरी' क्यों रखा गया है? यह निबंध इस पुस्तक का एक विशेष निबंध है।
'विप्राः बहुधा वदन्ति' पुस्तक के एक प्रसंग में उस समय के एक आई.ए.एस अधिकारी श्री जे. एस. बरारा का वक्तव्य उद्धत है जिसमें वे कहते हैं, "ओझा जी विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं जो धोती पहनकर भी इतना अच्छा टेनिस खेल सकते है। यह टेनिस का भारतीयकरण है।"
इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में एक रोचक निबंध 'के. आर. स्कूल' पर भी है जिसके प्रांगण पर आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा मुग्ध रहे हैं, मोहित रहे हैं और तभी तो उन्होंने इस स्कूल पर भी अपनी लेखनी चला दी। संयोग से इस स्कूल के प्रांगण में ही वह हार्ड कोर्ट है जहाँ ओझा जी टेनिस खेलने प्रायः जाया करते थे। बेतिया का के. आर. हाई स्कूल उत्तर बिहार के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से एक है जहां से मैंने भी पढ़ाई की है और मेरा छोटा भाई संजय कुमार ओझा ने भी जो भारतीय वन सेवा का उच्चाधिकारी है।