सृजन सागर (भाग-2) लघुकथा, कहानी, संस्मरण विशेषांक आपके समक्ष उपस्थित है। भाग-1 में 11 लेखकों की भागीदारी रही वहीं भाग-2 में लेखकों की उत्साहवर्द्धक वृद्धि ने 33 की संख्या को पार कर लिया और अच्छे स्वरूप को प्राप्त किया है। ........ पृष्ठों का यह साझा राष्ट्रीय संकलन स्वयं में मानो उद्घोष कर रहा है - 'सचमुच सागर सृजन का' । पृथक-पृथक प्रदेश की ज्ञान धाराएँ, अपनी विद्वत्ता-जीवन मूल्यों को समाहित किए एक स्थान पर जब एकत्रित हो रही हैं तब यह ज्ञान सागर का स्वरूप ले गया है।
इस पावन कार्य के लिए सर्वप्रथम अपने श्रद्धेय श्री राकेश डांग जी, जो मानवता परिवार के संरक्षक हैं, का आभार प्रकट करता हूँ जिनके पावन स्नेह एवं आशीर्वाद से यह निरन्तर प्रकाशित हो रहा है। अनुराधा प्रकाशन की संरक्षक एवं सृजन सागर 'भाग-2' की संपादन सलाहकार श्रीमती कविता मल्होत्रा के ज्ञान एवं सेवा का हमें लाभ मिला है, मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।