जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि यह सच है कि यह पूरी सृष्टि ही राममय है। रामायण महाकाव्य के रूप में प्रतिष्ठित राम के भक्तों के लिए यह उनकी अपनी आंतरिक यात्रा है। भक्त अपने देव को मानवीय संवेदनाओं के साथ मनुष्य जीवन में देख कर विभोर हो उठते हैं। सर्वगुण संपन्न मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान रामचन्द्र ने जीवन का एक आदर्श स्वरूप मनुष्य के समक्ष पेश किया है। वे भारतीय जीवन दर्शन और भारतीय संस्कृति के सच्चे प्रतीक हैं। हम भारतीयों ने सदैव अपने अतीत की गौरवशाली परम्पराओं के प्रति गौरव का अनुभव किया है। वेदों से प्राप्त ऋचाएं हमारे जीवन के विकास में सहायक होती रही हैं क्योंकि ज्ञान
परंपरा का आधार आराध्य देव के प्रति अटूट विश्वास, श्रद्धा और एकात्म भाव में स्थित भक्ति में है। ईश्वर की भक्ति आत्मविकास में मदद करती है और मनुष्य को संवेदनशील और उदार बनाती है। उदारवादी और भक्ति की कृपा इस पुस्तक के प्रयोजन को तो सिद्ध करती ही है साथ ही भारतीय संस्कृति में शामिल अध्यात्मिक दर्शन को प्रतिस्थापित भी करती है।
इस पुस्तक में संकलित कविताओं में जितनी चैतन्यता है उतना ही अधिक राम नाम की शाश्वती निष्ठा भी है। यह पुस्तक उपासना पद्धति की विशिष्टता को भक्तों के समक्ष कायम रखती है। पुस्तक में शामिल होने वाले रचनाकारों ने मिलकर एक बड़ा अनुष्ठान किया है। इस पुस्तक को मैं महायज्ञ की तरह महसूस करती हूँ।
इस महायज्ञ को सम्पन्न करने में सहायक सभी लेखकों और सम्पादक को शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ।