HUM HON KEWAL BHARATVASI हम हों केवल भारतवासी
HUM HON KEWAL BHARATVASI हम हों केवल भारतवासी

HUM HON KEWAL BHARATVASI हम हों केवल भारतवासी

This is an e-magazine. Download App & Read offline on any device.

Preview

आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा के बारे में जितना भी बोला जाए, कहा जाए, लिखा जाए या जितनी भी चर्चा की जाए उनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं बहुविस्तारित कृतित्व का सागर कभी खत्म होने वाला नहीं, कभी सूखने वाला नहीं उनके व्यक्तित्व की तरह ही उनके कृतित्व का भी अपरिमित असीमित भण्डार है जिसमें रत्नों की भरमार है।
जब आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की रचनाओं के आगार में मैंने प्रवेश किया तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो एक स्थापित साहित्यकार ही नहीं, ललित निबंधकार ही नहीं, समालोचक ही नहीं, पत्र लेखक ही नहीं वरन एक संवेदनशील एवं प्रभावशाली कवि भी हैं। फिर मैंने इधर उधर बिखरे पड़े उनकी अनेकों विविध कविताओं का संयोजन, संकलन एवं संग्रहण करना शुरू किया। इतना ही नहीं उनको स्वयं टाइप करना शुरू कर दिया। दूसरे से टाइप करा नहीं सकता क्योंकि जो कॉपी व डायरी मुझे मिले वो अत्यंत जीर्ण शीर्ण अवस्था में थे। उनको अगर ध्यान से न रखा जाता या ध्यान से न प्रयोग किया जाता तो वे नष्ट भी हो सकते थे। अगर किसी से टाइप कराता तो भी मुझे साथ बैठना ही पड़ता क्योंकि आज के ज्यादातर टाइपिस्ट को न शब्द की जानकारी है न भाषा की और फिर मेरे बाबूजी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की लिखावट से भी वे अपरिचित । तो इस स्थिति में, इस परिस्थिति में मुझे स्वयं ही ये सब कार्य सम्पादित करने थे।

More books From ANURADHA PRAKASHAN (??????? ??????? ?????? )