पूरे विश्व में हर वर्ष 18 नवंबर को बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार एवं हिंसा रोकथाम दिवस मनाया जाता है। भारत समेत पूरे विश्व में बाल यौन शोषण एक घिनौना अपराध माना जाता है। इस संबंध में कई देशो में अलग-अलग कानून भी है। हालांकि बाल यौन शोषण भारत में कम रिपोर्ट किया जाने वाला एक ऐसा घृणित अपराध है, जो आधुनिक परिवेश में अति के अनुपात तक पहुँच गया है। बाल यौन शोषण एक बहुआयामी सामाजिक समस्या है जिसे हम सामाजिक बुराई या सभ्य समाज के माथे पर कलंक कह सकते है। समस्या इतनी जटिल है कि इसके लिए इस प्रकार के आलेखों किताबों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है जिसे पढ़कर हम इसकी गंभीरता का आंकलन और वास्तविक अनुमान लगा सकते है। प्रस्तुत किताब / आलेख के माध्यम से हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि बाल यौन शोषण जैसे गंभीर अपराध जिसमें तगड़े कानूनी प्रावधान होने के बावजूद भी आज यह किस तरह वीभत्स रूप धारण कर चुका है, इसका व्यवहारिक, सामाजिक, एवं चिकित्सीय निदान क्या है..! बाल यौन शोषण का पीड़ित पर क्या मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है..! कितने प्रकार के बाल यौन शोषण वर्तमान समय में प्रसारित है, बाल यौन शोषण से पीड़ित के जीवन को सुगम और सार्थक बनाए जाने हेतु हमारा दायित्व क्या है और समाज कैसे अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकता है।