जब भी नव प्रयोग हुए तब प्रचलित के आदी जनमानस को विचित्र लगा परन्तु जैसे-जैसे नव प्रयोग की लोक प्रियता बढ़ती गईं वैसे वैसे जनमानस के विचार भी परिवर्तित होते गए। ऐसे ही एक नव प्रयोग का समावेश इस प्रथम लेखकीय प्रयास में किया गया है।
इसे इस प्रकार लेखबद्ध करने का प्रयास किया गया है कि इसका वाचन करते समय आप यह अनुभव करें, जैसे ये सब आपके नेत्रों के समक्ष, किसी चलचित्र के समान चल रहा है, घटित हो रहा है। चलचित्र के गीतों के समान ही विभिन्न दृश्यों में कविताएं जोड़ी गई हैं। धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व वाली कविताओं में घटनाओं व पात्रों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अधिक धार्मिक उद्धरण जोड़े गए है। इसे पाठकगण चलचित्र और मंच पर मंचित नाटक का समावेश मान सकते हैं।
प्रारंभ में कुछ विवरण इसलिए लेखबद्ध किए गए हैं कि जब भी इस नाटक का मंचन हो तब मंचन करने वालों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
संभव है पाठकगणों को इस प्रयास में अनेकानेक त्रुटियाँ मिलें। आशा है हमारे लिए अज्ञात उन त्रुटियों को आदरणीय पाठकगण क्षमा करेंगे।
निवेदनीय है कि ये काल्पनिक घटनाओं से प्रेरित स्वलिखित काल्पनिक कथा है।