मैंने असम के व्यंजनों पर सन 2006 में खाइये खिलाइए असम के व्यंजन नामक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक को काफी पसंद किया गया था। असम टूरिज्म विभाग ने भी इसे खरीदा था । उस समय बहुत सारे लोगों ने असम के शाकाहारी व्यंजनों के प्रति उत्सुकता जताई। फलस्वरूप मेरे मन में इस किताब को लिखने की इच्छा जागी। असम में जो लोग अन्य राज्यों से घूमने आते है और बहुत सारे लोग जो असम से दूर विभिन्न राज्यों में रहते है, उन्हे असम के रीति-रिवाज के विषय में जानकारी देने के अभिप्राय से इस किताब को लिखा गया है। न सिर्फ विविध शाकाहारी व्यंजन, रीति-रिवाज के विषय में इस किताब में है, इसमें आपको असम के घरेलू नुस्खे और विभिन्न जड़ी-बूटियों के बारे में भी बताया गया है। असम का चाहे खान-पान हो अथवा रीति-रिवाज, सब कुछ बहुत ही सरल और स्वास्थ्य सन्मत है। जैसा कि आप सब को पता होगा कि असम पहले बहुत बड़ा राज्य हुआ करता था। अब सात राज्यों में बंट गया है। चुंकि पुराने समय में यातायात की सुविधा पर्याप्त नहीं थी, तो यहां नमक का आयात कठिन होता था। इसी कारण ' ख़ार' का प्रचलन हुआ जो नमकीन होता है। यहां की जमीन बहुत उपजाऊ है और बारिश की कमी भी नहीं! अतः यहां फसलों की कभी कमी नहीं होती। लोग-बाग घर में कुछ न कुछ जरूर उगाते है। अन्न और विभिन्न फल यहां बहुतायत में होते है। मसालों और तेल की कमी के कारण यहां के व्यंजन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यहां ज्यादातर 'नामघरों' में कीर्तन और भागवद का पाठ होता है। प्रसाद भी बहुत स्वादिष्ट परन्तु बिना घी, शक्कर के होता है। मैंने इन सारी बातों का ध्यान रखते हुए पाठकों को इन्हे बनाने की विधि सरलता से समझाने का प्रयास किया है। कितना सफल हो पाई हूँ, यह आप की प्रतिक्रिया पर निर्भर होगा। आशा है, मेरी इस किताब को आपका स्नेह और आशीष मिलेगा।