मौजूदा दौर में जुमलेबाजी भारत में सियासत की पहचान बन गई है. चुनाव जीतने के लिए कड़वे बोल और झूठ को सच बताने वाली बाजीगरी ने कानून की लक्ष्मणरेखा को भी धूमिल कर दिया है. चुनाव हो या कोई राजनीतिक मंच या फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस, भाषा की विकृति हर जगह नजर आ जाती है. चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की तमाम हिदायत के बावजूद यह सिलसिला बदस्तूर जारी है. आखिर कहां ले जाना चाहते हैं भारतीय राजनीति को जुमलों के ये जंगबाज पढ़िए उदय सर्वोदय का नया अंक...