Shuklapaksh is a political fortnightly Hindi magazine


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चाहत यह होती है कि ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर वह चाहिए जो उसे ‘सूट’ करता है। न तो कोई सिद्धांत। न कोई नियमन। न कोई लक्ष्मण-रेखा। नतीजा, कभी दादरी। कभी जेएनयू। कभी पी. चिदंबरम। कभी स्मृति ईरानी। संसद में पक्ष-विपक्ष में कोई भेद नहीं। संसद लोकतंत्र का सबसे पावन तीर्थ है। लिहाजा, सदन के अंदर सांसदों का आचरण अनुकरणीय होना चाहिए। आखिर, ऐसी स्थिति क्यों आती है कि मर्यादाएं तार-तार होती हैं मर्यादाओं को लेकर सीमा रेखा की बात होती है इन्हीं मर्यादाओं को लेकर है हमारा आवरण कथा। आम बजट पेश हुआ। देश के अधिकांश लोगों ने सराहा। कहा गया - यह ‘इंडिया’ की नहीं, ‘हिंदुस्तान’ का बजट है। गांव और किसानों की दशकों बाद सुध ली गई है। वैसे, जिन प्रदेशों में चुनाव नहीं होना है, उसकी मांगों को दरकिनार कर दिया गया। जिस ‘नमामि गंगे’ को लेकर हाइप बनाया गया था, उसके नाम पर इस वर्ष एक रुपये की बात नहीं की गई। आखिर क्यों बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ पूर्वोत्तर पर बात, बजट के बहाने। सशक्त समाज का निर्माण बिना शिक्षा के संभव नहीं है। नारी शिक्षा भी अहम है। ‘शुक्लपक्ष’ अपने पाठकों के लिए हर अंक में समाज और देश के प्रतिष्ठित लोगों का साक्षात्कार प्रकाशित करता रहा है। यह हमारी साख भी है। असंख्य पाठकों के आग्रह पर हम निरंतरता बनाए हुए हैं। इस अंक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और वरिष्ठ गीतकार-पटकथा लेखक जावेद अख्तर।