आज इस बात से कोई अनजान नहीं कि प्लास्टिक धरती से लेकर अंतरिक्ष तक के लिए खतरा बन गया है, फिर भी कोई इससे परहेज को तैयार नहीं। व्यक्ति, समाज अथवा सरकारी मशीनरी तक, कोई भी इस खतरे से बचने के लिए सत्यनिष्ठ से प्रयास करता नहीं दिखता। ऐसे में अगर लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री को गांधी जयंती पर प्लास्टिक से छुटकारे के लिए राष्ट्रीय अभियान छेडऩे का आह्वïन करना पड़े तो, सबके लिए आत्मसमीक्षा का विषय है।