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परिवर्तन की सनातन परम्परा के अनुरूप 2019 इतिहास के पन्नों में सिमटते-सिमटते परवर्ती 2020 को अपनी समृद्ध थाती सौंप गया। अगर अपने भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसमें ढेरों उपलब्धियां, आशाएं और उम्मीदें हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। गए वर्ष के प्रथमार्द्ध में पाक में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर भारत ने अपनी ताकत का अहसास कराया। इससे जगा विश्वास वर्षभर संयुक्त राष्ट्र से लेकर अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों तक भारत का इकबाल बुलंद करता रहा। राजनीति के क्षितिज पर देखें तो एनडीए-2 मजबूत हस्ताक्षर के साथ सत्ता में लौटा, लेकिन उत्तरार्द्ध आते-आते जीडीपी में निरंतर गिरावट और बेलगाम होते बाजार ने चिंता की लकीरें खींच दीं। फिर भी तीन तलाक को ठिकाने लगाने, अनुच्छेद-370 से मुक्ति दिलाने और विशेष दर्जा समाप्त कर विकास के सुवास के लिए जम्मू-कश्मीर के दरवाजे खोलने में सफल रही एनडीए सरकार को अयोध्या मुद्दे पर भी मनवांछित बढ़त मिली। इन उपलब्धियों को पुख्ता बनाने की जल्दबाजी में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया। चूंकि यह बड़ा दांव था सो इसकी प्रतिक्रिया भी गंभीर हुई। यह प्रतिक्रिया नए वर्ष के लिए चुनौती होगी। पूर्ण बहुमत वाली केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार का दायित्व बनता है कि भय का माहौल खत्म कर लोगों में विश्वास का संचार करे और 2020 को विकास का वर्ष साबित करे।