किसी व्यवस्था की सफलता और टिकाऊपन उसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता के मान्य पैमाने हैं। इन कसौटियों पर अपना लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली समय-समय पर आईं विसंगतियों के बावजूद खरे उतरे हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत जनता से इनके सीधे सरोकार और उसके प्रति जवाबदेही है। इनमें निरंकुशता की कोई गुंजाइश नहीं है, सत्ता शक्ति संविधान-संसद-स्वतंत्र न्यायपालिका और अंतत: जनता के हाथों में केंद्रित है। सभी अपने दायित्वों के प्रति समर्पित हैं। यही समर्पण ही इस धारा को सूखने नहीं देता और विकारों को धोकर परिष्कार करता रहता है। इसी के सहारे अपने लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली की बेलि आज भी पुष्पित-पल्वित है।