परिचय - अयोध्या विशेषांक
अयोध्या के सैकड़ों वर्ष पुराने मामले में भारत के उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आने के बाद आज जन-जन में और विशेषत: रामभक्तों व संत-समाज में प्रसन्नता व्याप्त है। मंदिर के निर्माण के साथ बहुतों का गहरा लगाव हो चुका है, जो लोक-मानस में ‘अयोध्या’ के साथ भगवान राम के अभिन्न सम्बन्ध के कारण बड़ा ही स्वाभाविक है। हालांकि तथ्य यह भी है कि घट-घट व्यापी और अंतर्यामी हमारे राम निश्चय ही एक मंदिर में नहीं समा सकते, मंदिर चाहे जितना विशाल और भव्य क्यों न हो। कोई भी मानवीय रचना स्वभावत: परिसीमित ही होगी, क्योंकि वह तो ठहरी सिर्फ एक मूर्त प्रतीक या संकेत। यह जरूर है कि वह प्रतीक परमात्मा राम की और राम-भाव की अनुभूति का एक सिलसिला शुरू कर सकता है, जिसके सहारे हम खुद को राम जी की याद दिलाते रहते हैं और उनके प्रति अपने को बार-बार समर्पित करते रहते हैं ताकि जीवन में भटकाव न आए। इस अर्थ में मंदिर ही क्यों, पूरी अयोध्या नगरी ही राममय है।