इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि स्वच्छता का सीधा सम्बन्ध हमारी सेहत से होने के बावजूद हमारे समाज में स्वच्छता को लेकर कभी कोई गम्भीर चर्चा नहीं होती। ज्यादातर बातें रस्मी तौर पर ही की जाती हैं। पिछले कुछ सालों से केंद्र और कुछ राज्य सरकारों ने स्वच्छता पर ध्यान देना शुरू किया है। हालांकि ‘निर्मल भारत’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बावजूद यह कवायद अभी जन-अभियान का रूप नहीं ले सकी है। हमें यह समझना होगा कि सरकारें कुछ हद तक ही काम कर सकती हैं। स्वच्छता सरकारों का दायित्व तो है ही, लेकिन उससे कहीं बढ़कर यह हमारी जिम्मेदारी भी है। भारत को स्वच्छ तभी किया जा सकता है, जब स्वच्छता हमारे व्यवहार में शामिल हो जाए। हमारे आचरण में स्वच्छता दिखे। हमें खुद से प्रश्न करना होगा कि आखिर स्वच्छ भारत अभियान में मेरा अपना क्या योगदान रहा