शिक्षा के अधिकार का आज का स्वरूप आने के पहले और बाद में जो बहस चली है उसमें समान स्कूल प्रणाली और पड़ोसी स्कूल की अवधारणा को हाशिए पर धकेलने के लिए एक नया शगूफा छोड़ा गया या ये कहें कि टोटका आजमाया गया है। वह है निजी स्कूलों में पड़ोस के कमजोर तबके के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण का। अक्सर समाचार की सुर्खियां इसी से प्रेरित हो लिख देती हैं कि - अब पढ़ेंगे कृष्ण और सुदामा साथ -साथ। लेकिन क्या वास्तव में यह इस हद तक संभव और आसान है