दरअसल प्रकृति विरोधी कथित विकास हमें विनाश की ओर ले जा रहा है। दुस्साहस देखिये कि धरती का दामन छोटा होता महसूस हुआ तो इनसानी अंहकार ने आसमानों में बस्तियां बनाने की योजनायें शुरू कर दीं। जमीनें उजाड़ दीं, पर्वतों के सीने चीर कर अपने लिए ऐशगाहों के निर्माण कर लिए, जंगल उजाड़ दिए, पहले वृक्ष काट कर गगनचुम्बी इमारतों की नींव रखी, बाद में प्लांटेशनÓ के लिए मैराथन दौड़ कर, रिकार्ड बना कर, अपनी पिक्स फेसबुक पर अपलोड करके फूले नहीं समा रहे हैं। चिडिय़ों को उड़ा दिया, गायों को कूड़ा-कचरा खाने को विवश किया।