न्याय में विलम्ब अन्याय होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि न्याय मिलने में देरी भी आखिरकार मानवाधिकारों का हनन ही है और इसीलिए तारीख पर तारीख का सिलसिला तो जितनी जल्द हो बंद होना ही चाहिए। सरकार और न्यायपालिका को सभी को एक समान, सस्ता, सही और त्वरित न्याय देने की व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही अब वक्त की मांग है कि न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेयी की मांग की जाए। इसके अलावा जजों के रिक्त पदों को भी समयबद्ध रूप से भरे जाने की जरूरत है।