कुम्भ का नाम सुनते ही आंखों के आगे दिखाई देने लग जाती है अनगिनत भक्तों की मौजूदगी, ईश्वर की भक्ति में डूबा हुआ सम्पूर्ण वातावरण, इसे और भी खूबसूरती प्रदान करती समाजिक सद्भावना। इस बात में कोई दो राह नहीं कुम्भ, कभी न खत्म होने वाली एक असीम छवि को धारण करता हुआ महा मेला है। हिन्दुत्व के अस्तित्व को और भी गौरवान्वित करता हुआ धार्मिक पवित्रता की ओर अग्रसर एक बड़ा पहलू, भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा कुम्भ मेला। सांस्कृतिक तौर पर देखें तो भारतीय संस्कृति के समन्वयकारी स्वरूप का एक विराट दर्शन हमें इस कुम्भ में होता है। जहां साधु-संतों से लेकर आम जन और नेता तथा विदेशी पर्यटकों तक का एक विशाल हुजूम उमड़ता है और ऊंच-नीच, जाति-धर्म, अमीरी-गरीबी के भेदभाव से मुक्त होकर कुम्भ के स्नान का अक्षय पुण्य प्राप करता है।