डरावनी कहानियों का ज़माना चला गया है, लेकिन वाणी प्रकाशन ने दो ऐसी किताबें प्रकाशित की जिन्होंने भूत-आत्मा की कहानियों को नए आयाम दिए हैं। जयंती रंगनाथन की पुस्तक ‘रुह की प्यास’ में रहस्मयी दुनिया को अलग ही अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। गीताश्री ने ‘भूत-खेला’ लिखकर दिलचस्पी को बढ़ाया है। यह दोनों किताबें आप जरुर पढ़िए और महसूस कीजिए कि आजकल कुछ हटके लिखने वाले भी हैं।
कालू राम शर्मा की पुस्तक ‘खोजबीन का आनंद’ पढ़ने में पाठकों को जरुर आनंद आएगा। यह किताब सभी छात्रों और शिक्षकों को जरुर पढ़नी चाहिए। लंबे समय से पत्रकारिता कर रहीं
हुमरा कुरैशी ने कश्मीर के हालात पर एक पुस्तक लिखी है जिसकी विस्तार से चर्चा समय पत्रिका ने की है। अंकिता जैन की पुस्तक ‘मैं से माँ’ तक एक मार्गदर्शिका की तरह है। इसमें उन्होंने अपने अनुभव लिखे हैं। हमने इस बार यात्रा बुक्स द्वारा प्रकाशित ‘प्रवास’ की विशेष चर्चा की है। इस पुस्तक में कहानियाँ तुर्की की हैं, लेकिन इसमें भारत, पाकिस्तान से लेकर इराक भी दर्ज हुआ है। यह एक बेहतरीन शैली में लिखी रोचक किताब है। युवाल नोहा हरारी की पुस्तक ‘होमो डेयस’ का जिक्र बेहद जरुरी है। यह पुस्तक भविष्य की दुनिया में झांकती है और उन संभावनाओं को हमारे सामने रखती है जिनसे हम आने वाले समय में दो-चार होने वाले हैं। साथ में पढ़ें नयी किताबों की चर्चा।