समय पत्रिका के इस अंक में हमने कुछ ख़ास किताबों की चर्चा की है। मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने कविता काणे की पुस्तक लंका की राजकुमारी का प्रकाशन किया है। आशुतोष गर्ग ने इसका बेहतरीन अनुवाद किया है। पुस्तक में शूर्पणखा के बारे में कई पहलुओं पर लिखा गया है।
वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित न्यूज़मैन वर्क मीडिया से जुड़े लोगों के लिए बेहद ख़ास किताब है। अख़बार, ख़बर और पत्रकारिता के हर पहलू पर मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले प्रतिबद्ध पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत ने अपने पत्रकार जीवन से जुड़ी कई घटनाओं को लेखबद्ध कर एक पुस्तक का रुप प्रदान किया है। लेखक ने न्यूज़रुम की सच्चाई को रोचक तरीके से बयान किया है। उन्होंने स्याह और उजले पक्षों का तफसील से वर्णन किया है।
साथ ही इस अंक में जयंती रंगनाथन की नई पुस्तक एफ.ओ. ज़िन्दगी की चर्चा की गई है। यह कहानी युवाओं की है। कहानी शुरु से अंत तक तेजी से दौड़ती है।
युवा लेखक राहुल चावला का उपन्यास हज़ारों ख़्वाहिशें फिल्मी स्टाइल में लिखा गया है जिसे पढ़ना शानदार अनुभव है। पूनम अरोड़ा की कविताओं का संग्रह कामनाहीन पत्ता गहराई से दिल में उतरता है। एक-एक कविता का स्वाद अलग है जो भावनाओं की परत को पिघलाता है।
साथ में नई किताबों की ख़ास बातें।