समय पत्रिका को तीन साल हो गए। किताबों की चर्चा करते-करते समय का पता ही नहीं चला। कहा जाए तो सही होगा कि किताबों की दुनिया ऐसी होती है जहां शब्द बिखरे हैं, अनंत कहानियाँ और किस्से उनसे बने हैं, और उनमें हम भी शामिल हुए हैं ताकि जान सके दूसरों को और खुद को।
हमने तीन साल के सफर के दौरान पाठकों को हिन्दी की बेहतरीन पुस्तकों के बारे में बताया। यह सफर बेहद रोमांचक और नए अनुभव वाला कहा जा सकता है।
समय पत्रिका का संचालन गजरौला जैसे छोटे नगर से हो रहा है। बिना किसी ख़ास टीम के यह कार्य जारी है।
इस अंक में आप पढ़ेंगे चर्चित उपन्यास नैना के लेखक संजीव पालीवाल का साक्षात्कार। साथ में राजकमल प्रकाशन की दो ख़ास किताबों पर लेखकों के विचार भी प्रकाशित किए गये हैं। पुस्तक बदलता हुआ देश मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य और देश की दशा को बेधड़क होकर बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत करती है। जबकि अशोक कुमार पांडेय का कश्मीर पर लिखा हुआ शानदार दस्तावेज़ कश्मीर और कश्मीरी पंडित वास्तविकता से रुबरु कराता है।
समय पत्रिका के अंक में पढ़ें एस. हुसैन जैदी की पुस्तक बायकला टू बैंकॉक की बातें।
साथ में नई किताबों की ख़ास चर्चा.