समय पत्रिका के इस अंक में हमने साल की ख़ास किताबों में गिनी जा रही अभय मिश्रा की माटी मानुष चून की पाठकों को जानकारी उपलब्ध करायी है। यह बेहद शोधपरक पुस्तक है। यह हमें भविष्य में होने वाले खतरों से आगाह करती है। लेखक ने इसमें एक बेजोड़ बात कही है कि जो कचरा हम डस्टबिन में डाल कर देश को साफ़ कर रहे हैं वह अन्तिम रुप से जा कहाँ रहा है, इस पर तो बात ही नहीं हो रही।
आशुतोष गर्ग की पुस्तक इंद्र इन दिनों चर्चा में है। यह किताब देवलोक के राजा पुरंदर की गाथा है जो बेहद दिलचस्प पात्र उभरकर सामने आता है। पुरंदर को केवल अपने सिंहासन की चिंता है। यही वजह है कि वह उसे बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। आशुतोष गर्ग ने यहां अलग-अलग कथाओं के माध्यम से देवलोक के राजा के कारनामों को हमारे सामने रखा है।
अंकिता जैन की पुस्तक ऐसी-वैसी औरत बेहद ख़ास किताब है। इसमें अंकिता ने उन औरतों की कहानियां लिखी हैं जिन्हें समाज अच्छी नज़रों से नहीं देखता। सबा नक़वी की पुस्तक भगवा का राजनीतिक पक्ष की समीक्षा भी इस अंक में की गयी है।
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