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कभी-कभी मन में बहुत बुरे ख़याल आते हैं न, जैसे रात के सफ़र में क्या हो जब हमारी आँख खुले और बस का एक्सीडेंट हो गया हो, क्या हो अगर हम किसी नदी में वोट में घूम रहे हों और अचानक कोई मगर हमला करदे, क्या हो अगर हम सीढ़ियों से गिर जाएँ और ताउम्र के लिए अपाहिज हो जाएँ और इस तरह के ख़यालों के अलावा तरस का अहसास भी होता है जब हम किसी अपाहिज को देखते हैं जो बमुश्किल एक हाथ के सहारे अपना काम कर रहा होता है, या दोनों पैर गँवा कर बमुश्किल अपनी ज़िन्दगी चला रहा होता है। मेरे एक रिश्तेदार ने हाल ही में घर खरीदा, एक कमरे को दिखाते हुए बोले- “और ये कमरा मेरी बेटी के लिए, बालकनी में बैठकर बाहर तो देख सकेगी, वरना पिछले चौदह सालों से उसने खिड़की के बाहर नहीं देखा” दरअसल उसका पेट से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता । उनकी ये बात मेरे दिल कई बार आती है और एक अजीब सा दर्द दे जाती है। घर से एक दिन भी बाहर न निकलो तो अजीब लगता है, कोई अपनी पूरी ज़िन्दगी एक कमरे में बिना बाहरी दुनिया से ताल्लुक रखे कैसे गुज़ार सकता है।
लेकिन कुछ लोग हैं ऐसे, जो इन ख़यालों से आगे बढ़ते हैं, और हमें झूठा साबित करते हैं, उनके कारनामे, उनका ज़िन्दगी जीने का तरीका, उनका मुश्किलों से लड़ने का तरीका, उनका हार न मानने का जज़्बा, शायद एक बार को हम अच्छे-खासे चलते-फिरते लोगों को असली हिम्मत का आइना दिखा दे। किसी ने सच कहा है, इंसान अपाहिज तब नहीं होता जब उसका शरीर अपाहिज हो बल्कि वो तब अपाहिज होता है जब उसकी सोच अपाहिज हो जाए। जब वो लड़ने की जगह हार मानने लगे, जब वो आगे बढ़ने की कोशिश ही न करे, जब वो तकलीफों से डर कर भागने लगे, जब वो अपनी तकलीफों को मजबूरी का नाम देने लगे।
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो इन सब नकारात्मकता की बातों पर हँसते हैं और इन्हें ग़लत भी साबित करते हैं, अपने बुलंद हौसलों और मजबूत इरादों से। ऐसे ही बुलंद इरादों वाला एक मजबूत सख्स है हमारे इस अंक का मेहमान। ‘नवीन गुलिया’ एक वीर सैनिक जिसने अपनी रीड की हड्डी गर्दन से टूट जाने के बाद भी एक सच्चे सैनिक का जज़्बा नहीं छोड़ा, हार नहीं मानी, और हिमालय के शिखर पर पहुँचकर दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।
इसके अलावा इस अंक में आपको बहुत कुछ Interesting and Informative मिलने वाला है। इस अंक से शुरू हो रहे हैं तीन नए कॉलम जिन्हें लिखेंगे उसी फ़ील्ड के दो एक्सपर्ट्स। दुनिया से रूबरू कराने का वादा किया तो कुछ नया लाना ज़रूरी है भई ।
पहला नया कॉलम शुरू हो रहा है जंगल की पोटली जिसे लिखेंगे दीपक आचार्य । इस कॉलम की ख़ासियत होगी हमारी प्राकृतिक संपदा याने कि हर्बलजंगलजड़ीबूटी का प्रयोग और उनके उपयोग, कैसे जुड़े हैं दादी माँ के नुस्खे सीधे विज्ञान से, आदि ... और होंगी शुद्ध देशी बातें ।
दूसरा नया कॉलम शुरू हो रहा है खेत से पेट तक जिसे लिखेंगे समर्थ जैन। इस कॉलम की ख़ासियत होगी खेतों और उनसे जुड़ी कुछ बातें, कुछ तकनीकियाँ, जो सिर्फ किसान के लिए नहीं बल्कि हम सबके लिए informative होंगी ।
और तीसरा कॉलम है “शुद्ध-देसी प्रेम पत्र”, जिसे लिखेंगे आप सब, यानि कि रूबरू दुनिया को पढ़ने वाले, इसे जानने वाले, इसमें लिखने वाले, या कोई भी। कुछ प्यारे, सुनहरे पन्ने खंगालिए अपनी डायरी के क्या पता आपको भी कोई प्रेम-पत्र मिल जाए।
इसके अलावा, हमेशा की तरह और भी है बहुत, हमारे ही आस-पास से, हमारी ही सोसाइटीशहरदेशदुनिया से जो अक्सर हम अनदेखा कर देते हैं।
तो फिर देर किस बात की, पन्ना पलटिये, और हो जाइए शुरू।
मुझे इंतज़ार रहेगा आपके फीडबैक्स का, मेल करना भूलियेगा मत।