ओपिनियन पोस्ट


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इस अंक में कवर स्टोरी ..आया कार्ड का जमाना.. है। इसमें पड़ताल की गई है कि क्या लोग लेस कैश को अपनाने के लिए तैयार हैं। इसमें मुख्य स्टोरी ..कैशलेस इकोनामी, कितने तैयार हैं हम.. के साथ अर्थशास्त्री अरूण कुमार की राय ..सफेद अर्थव्यवस्था को नुकसान, आनंद प्रधान की ..विकास की रफ्तार घटने की आशंका, बनवारी जी का विश्लेषण ..लंबी अवधि में फायदा, बिजनेस स्टैंडर्ड के एडीटोरियल डायरेक्टर एके भट्टाचार्य से बातचीत ..अधूरी तैयारी पर कालेधन पर भारी, पूर्व आईबी डायरेक्टर डीसी पाठक से बातचीत ..नकली करंसी सौ फीसदी चलन से बाहर हो जाएगी, केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह से बातचीत ..बौखला गया है विपक्ष, पूर्वोत्तर से गुलाम चिश्ती की रिपोर्ट ..चूल्हे से चौक तक असर फिर भी फैसला बेहतर, नोटबंदी की मुश्किलों में उग्रवादी संगठन एकजुट। उत्तर प्रदेश से वीरेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट ...सियासी पहलवानों का फूला दम, बनारस से मोहन सिंह की रिपोर्ट ..बेचैनी के बीच उम्मीदें। हरियाणा की बाक्सिंग किस तरीके से बदल रही है, इस पर मलिक असगर हाशमी की विशेष रिपोर्ट। देहरादून से राजीव थपलियाल की रिपोर्ट ..सियासी चतुराईयों से घिरा उत्तराखंडी.. और ..शाह फ्लाप भाजपा बेहाल। अमेरिका पर आशुतोष मिश्र का विश्लेषण ...बदहाली ने बनाई बदलाव की राह और प. बंगाल से विनय बिहारी सिंह की रिपोर्ट ..कांग्रेस में मची भगदड़ और 2017 में सभी राशियों का आर्थिक भविष्यफल।