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इस अंक में विशेष :
विश्व हिन्दी सम्मलेन पर करोड़ों रुपए खर्च कर भोपाल में मेला लगा दिया गया। आम लोगों को तो छोड़ ही दें, हिन्दी के बड़े-बड़े जानकार साहित्कारों को पूछा तक नहीं गया और रही बात मीडिया की तो उनके लिए भी एक दायरा बना दिया गया। इस अंक की कवर स्टोरी में पढ़े किस तरह विश्व हिंदी सम्मलेन एक राजनीतिक कार्यक्रम बन गया।
बिहार चुनाव सर पर है, पूरे देश की नजऱे वही गड़ी हैं। एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट च्च्बिहार चुनाव - जाति आयामज्ज् इस अंक में पढि़ए। इस वक़्त देश में दो मुद्दे बेहद गरमाए हुए हैं, एक है पटेल समाज का आरक्षण आंदोलन और दूसरा है जैन समाज की संथारा प्रथा को लेकर कोर्ट का फैसला। क्यों अचानक गुजरात का पटेल समाज आरक्षण की मांग करने लगा अंक विशेष में पढि़ए क्यों आरक्षण एक समस्या है। आखिर है क्या जैन समाज की संथारा प्रथा, क्यों इसको लेकर इतना हंगामा हुआ और क्यों पूरा जैन समाज एक साथ खड़ा हुआ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ। अंक विशेष में पढ़े, च्च्संथारा संलेखना - सही या गलतज्ज्। इतिहास के पन्नों से इस अंक में पढि़ए किस तरह मानवता को पूर्ण रूप से समर्पित था अशोक का धर्म। साथ- साथ एक खास ब्लॉग च्च्सोशल मीडिया - अभिशाप या वरदानज्ज् सोशल मीडिया पर कोई भी खबर सच हो या झूट आग की तरह फैलती है। बिना सोचे समझे सच जाने बिना लोग सोशल मीडिया पर जजमेंटल हो जाते है। सही गलत का फैसला मानो ऑनलाइन ही हो जाता है। पढि़ए एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट और समझिए सोशल मीडिया असल में क्या है।