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आज ही से नहीं, हमेशा से ही माता-पिता की सब से बड़ी चिंता यही है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर काबिल बने, अपने पैरों पर खड़े हो। इज़्ज़त, शोहरत नाम कमाए। वो जितना कर सकते है अपने हिसाब से अपने बच्चों के लिए करते है। गरीब सरकारी स्कूलों में और अमीर बड़े प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा लेने भेजते है। कुछ माता-पिता तो बच्चे पैदा होते ही तय कर लेते है के उनका बेटा इंजीनियर या बेटी डॉक्टर बनेगी। प्रतियोगिता के इस दौर में बच्चों के लिए पढ़ाई भी एक बड़ी चुनौती सी हो गयी है। पहले तो केवल माता-पिता का डर था लेकिन अब समाज का भी एक डर बच्चों के अंदर दिखाई देता है। कुछ दिन पहले की एक खबर है एक ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा ने अपने घर में फांसी लगा ली और सुसाइड नोट में यह लिखा मुझे माफ़ कर देना मुझसे केमिस्ट्री नहीं पढ़ी जाती है। जऱा सोचिये उस बच्ची की दिमाग पर कितना दबाव रहा होगा। और यह एक केस नहीं हमारे देश में हर घंटे कई छात्र अपनी जान दे देते है। छात्रों के आत्महत्या एक बेहद चिंता का विषय है। यह अगर बढ़ रही है तो इसलिए लिए कही न कही हमारी शिक्षा व्यवस्था भी जि़म्मेदार है।
दोस्तों देखो भोपाल पत्रिका का अप्रैल माह के यह अंक शिक्षा पर आधारित है। जिसमें आप पढग़े कुछ बेहद संवेदनशील मुद्दों पर लिखे गए लेख। कवर स्टोरी में पढि़ए खास लेख शिक्षा का बदलता स्वरुप.. और अंक विशेष में पढि़ए सरकारी स्कूलों के पक्ष में एवं शिक्षा में बढ़ती व्यावसायिकता, उसके परिणाम और सुझाव।
Education Edition Special में पढि़ए Innovation in Education, New Learning Techniques और Reserve talent; not mere certificate!. इतिहास के पन्नों से से इस बार हम आपके लिए लए है दिल्ली के सुल्तानों और मुग़ल बादशाहों के जवाहेरात और दो खूबसूरत कहानियां लफड़े कालेज के.. एवं अंग्रेजी बोलने वाली बहू.. भी इस अंक में आपके लिए है।
किचन किंग में आपको गर्मियों में तरोताज़ा रखने के लिए दो ड्रिंक्स की रेसिपी, कुछ कविताओं के साथ पकाऊ ठट्टे यानी के चुटकुले Just for fun और साथ में हमारे नन्ने पाठकों के लिए कुछ गेम्स Train your brain इस अंक में पढि़ए।