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अन्याय कब तक - कई बार सर्वोच्च न्यायालय ने ‘समान नागरिक संहिता’ बनाने की बात कही है। अब कुछ दिन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस पर जोर दिया है। वास्तव में एक देश के नागरिकों के लिए एक ही कानून होना चाहिए। ‘हिंदू विवाह अधिनियम’ के जरिए किसी हिंदू पुरुष को एक से अधिक विवाह करने से तो रोक दिया गया है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है, ऐसा होना चाहिए। वहीं दूसरी ओर अधिकतर मुसलमान शरिया कानून की आड़ में चार निकाह करते हैं। एक ही देश में दो कानून क्यों इस तरह की अनेक विषमताएं हैं। इन्हें समाप्त करके ही समाज में सभी वर्गों के बीच समानता स्थापित की जा सकती है। यही कारण है कि देश के ज्यादातर लोग ‘समान नागरिक संहिता’ के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं