URDHVANI उरध्वनि


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pमुझे प्रेरणा कहाँ से मिली अक्सर पूछा जाता, इसका उत्तर इतना सरल नहीं, जिसको फूल और शूल एक जैसे ही लगे, उसी को शाख के व्यक्तित्व का पल भर में भान हो सकता है। मैं जब भी शाख को देखती चमन ओझल हो जाता और उसके हर अंग में ब्रह्मांड सिमट जाता ।brमुझे मुस्कुराहटों को बटोरने में विशेष आनंद महसूस होता पर पलकों में छुपे आंसुओं ने मुझे सदैव अधिक विचलित किया है। सबसे बड़ा सत्य तो यह है कि जीवन के हर मोड़ पर मैंने हर दम आनंदित हो आशा के दीप जलाये और यही समझा के सब लोग यह सब कुछ आसानी से कर सकते हैं।brपंछी जब भी आकाश में उड़ते तो मैं भी उनके साथ उड़ती, उनके पंखों से जुड़ी और हर उड़ान पर मैं निढ़ाल, निराशा में डूबे अनमनों को मुट्ठी में बांधे रखती ।brहर रिश्ते की ऊष्मता में दिलों की मिठास भरी रहती है और वह मिठास कड़वाहट को ढांपे रखती है।brइन कविताओं में ऊष्मता, मिठास और कड़वाहट एक ही सुर में ढली है।p