Me kon hun मैं कौन हूँ


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div classelementor-element elementor-element-8c3ed00 elementor-widget__width-auto elementor-widget elementor-widget-heading data-id8c3ed00 data-element_typewidget data-widget_typeheading.default div classelementor-widget-containerspan classelementor-heading-title elementor-size-defaultCategory:spandiv div div classelementor-element elementor-element-f2b312d elementor-widget__width-auto elementor-widget elementor-widget-heading data-idf2b312d data-element_typewidget data-widget_typeheading.default div classelementor-widget-containerspan classelementor-heading-title elementor-size-defaulta hrefhttps:anuradhaprakashan.comproduct-categoryhindi-books reltagHindi Bookaspandiv div div classelementor-element elementor-element-bba63ab elementor-widget elementor-widget-heading data-idbba63ab data-element_typewidget data-widget_typeheading.default div classelementor-widget-containerspan classelementor-heading-title elementor-size-defaultप्रिय पाठकों, माँ सरस्वती जी के परम आशीर्वाद से, मेरी प्रस्तुत पुस्तक मैं कौन हूँ शीर्षक से यह मेरी दूसरी रचना है। मेरी पहली रचना अलौकिक-संवाद की ही भाँति यह रचना भी काव्यात्मक ही है। अलौकिक-संवाद मेरे द्वारा लिखित 100 कविताओं का संकलन है, जबकि मेरी वर्तमान रचना मैं कौन हूँ मेरे द्वारा रचित कुल 66 कविताओं का संग्रह है। हाँ, इन 66 कविताओं की संख्या मैंने कोई जान-बूझकर नहीं चुनी बल्कि यह मात्र एक संयोग है। इन 66 कविताओं  में मेरे द्वारा रचित प्रथम 33 कविताओं में मैंने हिन्दी बहुल अर्थात मुख्यतः देवनागरी भाषा की शब्दावली का प्रयोग किया है जो कि मुझे बहुत प्रिय और रुचिकर है एवं दूसरे भाग की 33 कविताओं में उर्दू के शब्दों की बहुतायत है - वे कविताएँ जिनमें आप नज़्मों और ग़ज़लों दोनों ही का प्रदर्शन पाएँगे। हाँ, यहाँ मैं यह अवश्य कहूँगा कि इन सभी कविताओं के भाव-भंगिमा और रंग विविध- प्रकार के हैं एवं सभी रचनाएँ स्वयं में एक मुक्त-उड़ान लिए हुए हैं। परन्तु इसके साथ अपने-आप में यह भी एक तथ्य है कि अपनी इन सभी 66 कविताओं में मैंने छंद व संगीतात्मक-लय का अनिवार्यतः पालन किया है जिससे कि इन सभी कविताओं का मौलिक-विन्यास सुन्दर एवं आकर्षक भी लगे और इन सभी कविताओं में एक विशिष्ट काव्यात्मक-रस भी बना रहे जिससे वस्तुतः इन्हें पढ़कर आनन्द की अनुभूति प्राप्त हो।spandiv div