KABIR KANE KA


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pबाल्यावस्था के तेरह बहुमूल्य बरस हमर विभिन्न छात्रावास में बीतल । समाज स गाम सॅ, नीक जकाँ परिचय नेना भूटका मे अपन गाम जाय से, छोड़िक विवाहक बादे पूर्णतया संभव भेल। ग्राम्य जीवन के अपन अनुपम सौन्दर्य छै संस्कार, संस्कृति छै ।brजीवन के विभिन्न वय मे लिखल गेल गाम आ सहरि के किस्सा, कथा के प्रस्तुति अहि मे उपस्थित अछि। जेना कि हम ई कइबा मे सदिखन गर्वोन्नति महसूस करैत छी, जे हमर प्रेरणा स्त्रोत सदैव हमर परिवार रहल अछि। हम पति श्री प्रभात कुमार झा जी, पुत्री नयन सी, जमाता धीरज एवं पुत्ररत्न नीलोत्पल के हृदय के कण-कण सॅ आभारी छी, हम अपन कुटुंबी जन के, देवर, ननदि के, भाई बहिन क अद्वितीय स्नेह क आभारी छी एवं समस्त पाठक, आलोचक, वृन्दक आभारी छी, जे हमर लेखनी के सार्थक करबा मे सहायक भेलथि। आ भविष्य मे सेहो हेताह ! आभार !brहमर प्रथम पुस्तक, भारतीय जीवन मूल्य हिन्दी पूज्य पापाजी के, दोसर प्रत्यंचा हिन्दी काव्य संग्रह पूज्य माताजी के, तेसर, उपालंभ मैथिली काव्य पूज्य सासू माँ के, आ ई चारिम, कबीर काने क मैथिली कथा-संग्रह अपन मैथिली भाषा के समर्पित अछि ।brपाठक, अपने सबहक आर्शिवादक आकांक्षी !p