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pसबसे पहले मैं अपने दोस्तों का धन्यवाद करना चाहता हूँ जो मुझेbrहर बार कुछ करने के लिए प्रोत्साहन करते हैं। शायद इनकेbrसहयोग के बिना इन कविताओं का प्रकाशन मेरे लिए संभव नहींbrहो पाता। इस पुस्तक को लिखवाने का श्रेय भी मेरे साथियों कोbrही जाता है, जिन्होंने मुझे ऐसा माहौल दिया।brइन कविताओं के अन्दर आपको एक बचकाना उम्र संबंधित कविताएँ मिलेंगी जिन अंजान राहों में जाने से ना ही कोई रोकता है और ना ही कोई दिशा दिखाता है। और ऐसा होना भी मुसासिफ है, इस उम्र में जो होता है उसका अनुभव हमारी सहन शक्ति को भी दृढ़ बनाता है जो ज्यादातर दुख देता है पर मीठा...brकिसी शायर ने कहा है-brशुक्र करो हम दुख सहते हैं, लिखते नहीं वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते...brऔर एक छोटी सी बात जरूर कहना चाहूँगा... मैंने किसी को कहते हुए सुना था... जो करना है खुशी से करो, खुश होने के लिए कुछ मत करो...brऔर बस, मैंने लोगों के लफ्जों के जनाजे को थोड़ा कन्धा साँझा कर दिया।p